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अमरबेल: परजीवी पौधा जिसकी खूबसूरती में छुपा है प्रकृति का रहस्य ?

प्रकृति में अनेक प्रकार के पौधे पाए जाते हैं, जिनमें कुछ स्वतंत्र रूप से उगते हैं और कुछ परजीवी होते हैं। परजीवी पौधों में अमरबेल (Cuscuta) एक ऐसा नाम है जो अपने अनोखे जीवन चक्र और विशेषताओं के कारण वैज्ञानिकों से लेकर आयुर्वेदाचार्यों तक के लिए जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। अमरबेल को आमतौर पर ‘आकाशबेल’, ‘स्वर्णलता’ या ‘लुटेरा बेल’ भी कहा जाता है। यह पौधा ना केवल जैविक दृष्टि से अद्भुत है, बल्कि आयुर्वेद में भी इसके कई औषधीय गुणों का उल्लेख मिलता है।

अमरबेल का परिचय

अमरबेल पीली या नारंगी रंग की पतली रेशों जैसी होती हैं, जो किसी अन्य पौधे को जकड़कर उससे पोषण प्राप्त करती हैं। यह अपने मेज़बान पौधे की शाखाओं से लिपट जाती है और उसमें ‘हॉस्टोरिया’ नामक विशेष संरचनाओं के माध्यम से उसका रस चूसती है।

फैलाव और आवास

अमरबेल भारत के लगभग सभी भागों में पाई जाती है। यह गर्म और नम जलवायु में अधिक तेजी से बढ़ती है। यह अधिकतर झाड़ियों, पेड़ों और खेतों में पाए जाने वाले पौधों को प्रभावित करती है, विशेष रूप से नीम, बेर, अर्जुन, गूलर और अमरूद जैसे पेड़ों को।

आयुर्वेद में उपयोग

अमरबेल को आयुर्वेद में कई रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है। इसके प्रमुख औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं:

  • बालों की समस्याएं: अमरबेल को नारियल तेल में उबालकर लगाने से बालों का झड़ना कम होता है।
  • त्वचा रोग: इसके रस का प्रयोग फोड़े-फुंसी और त्वचा की खुजली में लाभदायक होता है।
  • लीवर विकार: आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसे जिगर के रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।
  • प्रतिरोधक क्षमता: यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है।
  • मानसिक तनाव और अनिद्रा में राहत
  • अमरबेल का प्रयोग आयुर्वेद में मानसिक शांति के लिए किया जाता है। यह तनाव, चिंता और नींद न आने की समस्या (अनिद्रा) में उपयोगी मानी जाती है।
  • मोटापा कम करने में सहायक
  • अमरबेल पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है और शरीर में जमा अनावश्यक चर्बी को कम करने में मदद करती है।
  • रक्त शुद्धि (Blood Purification)
  • इसके नियमित सेवन से शरीर से विषैले तत्व (toxins) बाहर निकलते हैं जिससे रक्त शुद्ध होता है।
  • त्वचा की चमक बढ़ाए
  • यह त्वचा को साफ और चमकदार बनाती है। फोड़े-फुंसियों, दाग-धब्बों और खुजली में यह बहुत उपयोगी है।
  • घाव भरने में मददगार
  • अमरबेल का लेप पुराने घाव या चोटों पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं और संक्रमण की संभावना कम होती है।
  • हड्डियों को मजबूत बनाती है
  • इसमें ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं, विशेषकर बढ़ती उम्र में।
  • कब्ज और पाचन समस्याओं में राहत
  • इसके सेवन से कब्ज, गैस और अपच की समस्या में काफी आराम मिलता है।
  • पुरुषों में वीर्य दोष और कमजोरी में लाभकारी
  • अमरबेल का उपयोग पारंपरिक आयुर्वेद में पुरुषों की यौन दुर्बलता और शुक्राणु दोष में भी किया जाता रहा है।

संरचना और विशेषताएं

  1. पत्तियों का अभाव: अमरबेल में पत्तियां नहीं होतीं, जिससे यह प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाती।
  2. जड़ और तना: इसकी जड़ें केवल अंकुरण के समय थोड़े समय के लिए सक्रिय रहती हैं। जैसे ही यह किसी पौधे पर चिपकती है, उसकी जड़ें सूख जाती हैं।
  3. फूल और बीज: अमरबेल में छोटे-छोटे सफेद या हल्के गुलाबी फूल होते हैं, जिनसे बीज बनते हैं। बीज से ही इसका पुनरुत्पादन होता है।

निष्कर्ष

अमरबेल प्रकृति की एक ऐसी रहस्यमयी कड़ी है जो हमें दिखाती है कि जीवन जीने के तरीके कितने विविध हो सकते हैं। यह पौधा एक ओर जहां जैविक दृष्टिकोण से अनुसंधान का विषय है, वहीं दूसरी ओर इसका औषधीय महत्व भी कम नहीं है। हालांकि इसके दुष्प्रभावों से बचाव जरूरी है, लेकिन इसके सही उपयोग से यह एक वरदान बन सकता है।

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